શુક્રવાર, જુલાઈ 15, 2022

थे

कभी साथ थे, 
अभी पास है । 

कभी एक थे, 
अभी खास है।

कभी आस थे, 
अभी काश है। 

कभी फूल थे, 
अभी फांस है। 

कभी सांस थे, 
अभी लाश है। 

विनोद नगदिया (आनंद) 




ટિપ્પણીઓ નથી: